गैस एसिडिटी के लिए हम त्रिफला चूर्ण (आंवला, हरड़, बहेड़ा) का बेस लेकर कई अन्य औषधीय मिलाकर एक चूर्ण तैयार करते हैं, इसका रात में सेवन करने से सुबह तक पेट साफ हो जाता है। यह चूर्ण 30 दोनों का रहता है, लगातार 30 दिनों तक इस चूर्ण का सेवन करने से पाचन तंत्र बहुत मजबूत हो जाता है, जिससे 2 से 3 साल तक ईनो और गैस की टेबलेट जैसी चीज लेने की जरूरत नहीं पड़ती।
सतपुड़ा के जंगल में जटामांसी पाई जाती है, जिसमें केराटिन पाया जाता है एवं एलोवेरा टाइप का जेल निकलता है फिर जटामांसी को सरसों तेल में उबाला जाता है साथ ही साथ कई अन्य जड़ी-बूटियां जैसे आंवला,भृंगराज, शिकाकाई, रीठा आदि डाला जाता है, यह तेल बालों को झड़ने से केवल 7 दिनों में ही रोक देता है, फिर कंघी और तौलिया पर एक बाल भी नहीं आता है।
पहाड़ों एवं शिलाओं पर जब धूप पड़ती है, तो पहाड़ों का मिनरल्स एवं विटामिन लिक्विड फॉर्म में बाहर आता है वही शिलाजीत होता है। "शीला" से "जीत" कर बाहर आने वाला पदार्थ शिलाजीत कहलाता है। शिलाजीत को पहाड़ों का पसीना भी कहा जाता है।
यहां के जंगलों में एक प्रकार की दारूहल्दी पाई जाती है, जो फेस ग्लो के लिए काफी अच्छा काम करती है, इस हल्दी के साथ-साथ कई अन्य औषधीय तत्व मिलते हैं, जैसे कि कुलंजन का फल, मुल्तानी मिट्टी, चंदन। इन चीजों से एक पाउडर तैयार होता है, जो चेहरे के लिए बहुत कारगर है।
यह औषधि दमा की समस्याओं को कम समय में खत्म करती है। दमा में होने वाली परेशानियां जैसे खांसी, श्वास ठीक से ना आना, रात में होने वाली खांसी और सीने में जमा हुआ कफ आदि को ठीक करता है।
इस चूर्ण से पुरानी से पुरानी बवासीर पूरी तरीके से ठीक हो जाती है, और फिर इसे दोबारा कभी नहीं बनती क्योंकि यह जड़ से ठीक कर देता है। बवासीर तो ऑपरेशन करके भी ठीक कर लेते हैं लेकिन उससे फिर से हो जाती है, लेकिन इससे जो जड़ से खत्म होती है तो फिर दोबारा नहीं होती।
इस चूर्ण को कामराज, अश्वगंधा, सफेद मूसली, काली मूसली,कोच के बीज, शतावर आदि औषधियों को मिलाकर बनाया जाता है। यह पुरुषों की मैन पावर बढ़ाने के लिए उपयोगी है। यह दवा समय वर्धन और काम उत्तेजना में बहुत कारगर है।
Forest garlic oil जंगली लहसुन का तेल
सतपुड़ा के जंगल में एक सिंगल काली का लहसुन पाया जाता है। इस लहसुन का अर्क सरसों के तेल में निकालकर एक तेल तैयार किया जाता है, जो सिर दर्द में बहुत अच्छा काम करता है, जब भी सर दर्द हो, केवल स्मेल करने से ही सर दर्द बंद हो जाता है।
पचमढ़ी में एक प्रकार का सूई नींबू पाया जाता है, जिसका आकार 10 से 12 सेंटीमीटर तक हो जाता है। इस नींबू की विशेषता यह है इसमें साइट्रिक एसिड की मात्रा बहुत अधिक होती है। यदि इसमें लोहे की कील डाल दी जाए और एक सप्ताह बाद इसे काटा जाए, तो कील गल जाती है। फिर इस नींबू के साथ-साथ कई अन्य जड़ी बूटियां को मिला कर एक पाउडर तैयार किया जाता है, जो एक महीने में 3 से 4 किलो एक्स्ट्रा फैट या वजन कम करने में मदद करता है।
पचमढ़ी के जंगलों में एक गुड़मार नाम का पत्ता पाया जाता है, इस पत्ते को खाने से 12 घंटे के लिए मीठे का स्वाद नहीं आता है, फिर शक्कर मिट्टी की तरह और चाय गरम पानी की तरह लगती है।